Tuesday, January 9, 2018

वो पहली मुलाकात



वो पहली मुलाक़ात
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"क्या हुआ दोस्त आज इतना बैचैन क्यु हो ,क्या हुआ जो आज आपकी ही धड़कन आपके वश में नहीं है" अपने हालात को देखते हुए मेरे दिमाग ने मेरे दिल से ये प्रश्न किया ।
दिल- सच कहते हो तुम ,शायद आज कुछ खास है या फिर इसे अपने ही गम में बैठने का गम है ।
दिमाग- किस गम कि बात कर रहे हो तो , "वो जो आज से तीन साल पहले" मिला था या फिर कोई और ही गम है ।
      "आज से तीन साल पहले " ये शब्द सुनकर दिल बहुत उदास हो गया ।कुछ कही अनकही तस्वीरें उसके सामने से गुजरने लगी ।उस तस्वीरों में कुछ खास था जिसे देख दिमाग ने भी चलना बंद कर दिया दोनो ही अपने उन हसीन पलों को देख रहे थे वो पल कितने हसीन होंगे जिन्हें याद करके दिल और दिमाग दोनों ही  आनंदित हो रहे । कभी किसी पल खुशी छलकाती तो कभी उदासी ।
         उन दोनों के इस दृश्य ने मुझे अन्दर तक हिला दिया । में एकदम से बैठ गया , मेरी आंखो के सामने वो दृश्य आ गया जब मैने उसके उन कोमल ,हसीन ,और सुन्दर हाथों को स्पर्श किया था मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि वो अभी मेरे हाथो में है उसका वो खूबसूरत चेहरा मेरी आंखो के सामने आ गया और मेरी आंखो से कुछ हसीन यादें बह गई । उन यादों की धारा में, मै भी बहता चला गया मैने खुद को उन यादों के हवाले कर दिया ,क्युकी वो यादें ही मुझे खुशी का एहसास कराती थी ।
      "क्या चाहते हो तुम ,खुद को पाना या उसकी यादों में ही उसकी बाहों के घेरे में खुद को छिपाना" ,एकाएक मेरी यादों ने मुझे झकझोर के पूछा ।
  "वो खूबसूरत चेहरा....एकदम से सामने आ गया और उसमे खो गया ।
शाम का समय था कुछ पुरानी यादो ने घेर रखा था शायद वो ख़ूबसूरत ही रही होगी जिस कारण में उनमे इतना खो गया था ज्यादा कुछ याद भी नही आ रहा था बस एक चेहरा जो बार बार आँखों के सामने आ जाता था पता नही में उसे भूलना नही चाहता था या फिर वो मुझे भूलने नही दे रहा था तभी मेरा ध्यान टूटा ।
        हाल ही की हुई घटनाओ के कारण में किसी से ज्यादा बात नही कारता था मेने बहुत कुछ बदलने के कोशिश की पर शायद अभी समय नही था
   में वंहा से उठकर बाहर चला गया में खुद को खुश देखना चाहता था मुझे क्या पता था कि आज का दिन मेरी जिंदगी में एक ऐसा समय लायेगा जिसे में भूलना ही नही चाहुगा ।में घर से निकल तो गया था पर मेरा मन नही लग रहा था इधर उधर की बाते सोचता रहा पर दिल को सुकून नही मिला ।
       लगभग 4 से 5 बजे के बीच का समय होगा  अप्रैल 2015 का महीना था घूमने के बाद में घर आ गया ""हेल्लो कैसे हो ,क्या में तुमसे बात कर सकती हूँ"   ...।
     मैंने नज़ारे ऊपर उठकर देखा मेरे दिल की धड़कन थम सी गयी मनो किसी की आहट से किसी की नींद टूटने का खतरा हो .में बस उसे एक पल के लिए देखता रह गया जो शायद दिल में बस गया था
    "वो एक खूबसूरत चेहरा"
में अपनी यादों की यादों में इतना खो गया कि मुझे मेरी फिर से झकझोर दिया ।
   "यादों के सहारे जीना मुझे बहुत कठिन सा लग रहा था , पर जब उसने उस पहली मुलाकात में मुझे मुस्करा कर देखा था । उसके उन गुलाबी होंठो ने जब एक दूसरे को चूमा था उसकी पलकों ने खुद को अपनी बाहों में लिया था उसकी हर धड़कन से एक मधुर आवाज एक संगीत की तरह मुझे स्पष्ट सुनाई दे रही थी ।जब उसकी उंगलियों ने मेरी उंगलियों को गले लगाया तो मुझे उसकी हर धड़कन अपने दिल की धड़कन के साथ ही सुनाई देने लगी ।लगा मानो दो दिल एक साथ धड़क रहे हों ।
     " अब तुम ही बताओ इन सब को में कैसे भूल सकता हूं" मैने अपनी यादों से कहा ।
और सोचने लगा कि कैसे भूल जाऊ उसका मुझे गले लगाना , उस एहसास से जीने का एहसास होता है मेरे साथ वो सब पहली बार ही तो हुआ था फिर कैसे भूल जाऊ वो ..
    " पहली मुलाकात"

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