Monday, September 24, 2018

सावन बरस रहा हो जैसे


सावन बरस रहा हो जैसे

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बूंद बूंद पानी टपक रहा हो जैसे
सावन रिस रहा हो जैसे

वो बूंद की बेबसी 
बादल की जुदाई हो जैसे
तपते बदन पर वो फ़ुहार
मुझको लपेटे हुए हो जैसे
बूंद बूंद पानी टपक रहा हो जैसे
सावन रिस रहा हो जैसे

बूंदो की फुहार 
तन को लपेटे हुए हो जैसे
धरती के आँचल में
बेरक्त बेबस रातो में
साहिल मिला हो सागर से जैसे

बून्द बून्द पानी टपक रहा हो जैसे
सावन रिस रहा हो जैसे
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Sunday, September 9, 2018

इंतजार था


इन्तजार था

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दूर नजर तक
अधीर फलक तक
वेरंग सा पड़ा था
एक ख्वाब
उसके काले मन में
वेरंग से सपनो पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
मन को टटोलते
रंगों की फितरत
बदलते
मानो उतरे
हो कुछ रंग
क्षितिज से अभी अभी
जैसे इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
इंतज़ार है
कि हो बारिश सपनो की
मेरे मन की
ऊसर जमीन पर
खुसबू से भर दे
उसके खाली पथ को
जिस पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
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-प्रतीक

Saturday, September 1, 2018

जब तुमको देखा करता था

जब तुमको देखा करता था

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बंद आँखों से तुमको देखा था
आज नही वो कल था
वो मेरा बीता कल था
हर बीते कल में तुझको खोजा करता था
जब तुमको देखा करता था

उन श्याह काली रातों में
चहुँओर चाँदनी रातों में
दिल की गहरी आमक में
तुमको खोज करता था
जब तुमको देखा करता था

वो बंद खिड़की
खुले आसमान को दिखाती थी
मेरे सपनो पर चलते हुऐ
मेरी नींद दौड़ा करती थी
तुम्हारी सागर जैसी आँखों में
साहिल बन दौड़ा करता था
जब तुमको देखा करता था
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-PRATEEK

अनोखा रिश्ता

अनोखा रिश्ता-1 ---------------------------------------------- शाम का समय था लगभग 7 बजे होंगे ,एक टेबल पर बैठा करन कॉफी पी रहा था चार...