इन्तजार था
-----------------------------------
दूर नजर तक
अधीर फलक तक
वेरंग सा पड़ा था
एक ख्वाब
उसके काले मन में
वेरंग से सपनो पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
अधीर फलक तक
वेरंग सा पड़ा था
एक ख्वाब
उसके काले मन में
वेरंग से सपनो पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
मन को टटोलते
रंगों की फितरत
बदलते
मानो उतरे
हो कुछ रंग
क्षितिज से अभी अभी
जैसे इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
रंगों की फितरत
बदलते
मानो उतरे
हो कुछ रंग
क्षितिज से अभी अभी
जैसे इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
इंतज़ार है
कि हो बारिश सपनो की
मेरे मन की
ऊसर जमीन पर
खुसबू से भर दे
उसके खाली पथ को
जिस पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
---------------------------------------
कि हो बारिश सपनो की
मेरे मन की
ऊसर जमीन पर
खुसबू से भर दे
उसके खाली पथ को
जिस पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
---------------------------------------
-प्रतीक
No comments:
Post a Comment