Sunday, September 9, 2018

इंतजार था


इन्तजार था

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दूर नजर तक
अधीर फलक तक
वेरंग सा पड़ा था
एक ख्वाब
उसके काले मन में
वेरंग से सपनो पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
मन को टटोलते
रंगों की फितरत
बदलते
मानो उतरे
हो कुछ रंग
क्षितिज से अभी अभी
जैसे इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
इंतज़ार है
कि हो बारिश सपनो की
मेरे मन की
ऊसर जमीन पर
खुसबू से भर दे
उसके खाली पथ को
जिस पर
इंतज़ार था
उसकी भीगी बारिश का ।।
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-प्रतीक

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