Thursday, January 11, 2018

मेरा दिल......





प्यार आपका अब कुछ इस कदर हम पर छा रहा है
मेरा दिल मुझे मेरे महबूब का दिल ए हाल बता रहा है
बड़ा समझाया इस दिल ए नादान को
पर ये तो मस्त गगन में उड़ता ही चला जा रहा है
प्यार आपका अब कुछ इस कदर हम पर छा रहा है
मेरा दिल मुझे मेरे महबूब का दिल ए हाल बता रहा है

चाहता है अब ये दिलबर को अपने सामने हर पल
महसूस करना चाहता है उसकी सांसो को अपनी सांसो में हर पल
इसको भी अब खुद पर कुछ ज्यादा ही एतबार आ रहा है
प्यार अब कुछ इस कदर हम पर छा रहा है
मेरा दिल मुझे मेरे महबूब का हाल ए हाल बता रहा है

कहता है बस कुछ दिन और इंतजार, फिर हम एक हो जायेंगे
जो जो सपने संजोये थे हमने सब के. सब पूरे वो हो जायेगे
अब तो गौरव को भी शिखर का इंतज़ार हो रहा है
प्यार अब कुछ इस कदर हम पर छा रहा है
मेरा दिल मुझे मेरे महबूब का दिल ए हाल बता रहा है

मिले थे जो कभी हमें अनजान बनकर ,वो अब अपने हो जायेंगे
हर कोई शायद अब हमारे प्यार के साथ होगा
दिल को इस गुमान पर गुमान आ रहा है
प्यार अब कुछ इस कदर हम पर छा रहा है
मेरा दिल मुझे मेरे महबूब का दिल ए हाल बता रहा है ।


Tuesday, January 9, 2018

सादगी



सादगी उनमें कितनी थी शायद हम जान ना सके,
मोहम्मद कितनी थी हमें शायद हम जान ना सके, ।

उनका मुस्कुराना हमने देखा
उनका रोना हमने देखा
उनका हमारी हर बात पे हंसना
और खुशी में झूमना देखा,
उनके दिल में दर्द कितना था हम जान  सके,
मोहब्बत कितनी थी हमें शायद हम जान ना सके ।

हमारे लिए कितना तड़पते थे
हाल ए दिल शायद हम ना  समझते थे,
उनकी खुशी की वजह हम थे
उस बजह को ही हम जान ना सके,
मोहब्बत कितनी थी हमें शायद हम जान सके।

कोशिश तो बहुत कि थी उन्हे अपना बनाने की,
हाथ से हाथ जब फिसल गया हम जान ही ना सके,
उन्हे हमसे मोहब्बत कितनी थी शायद हम ही  जान सके,
हमने  उन्हें जान और ना उनकी मोहब्बत को ,
और हम सोचते रहे,


मोहब्बत कितनी थी हमें शायद हम जान ही ना सके ।

वो पहली मुलाकात



वो पहली मुलाक़ात
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"क्या हुआ दोस्त आज इतना बैचैन क्यु हो ,क्या हुआ जो आज आपकी ही धड़कन आपके वश में नहीं है" अपने हालात को देखते हुए मेरे दिमाग ने मेरे दिल से ये प्रश्न किया ।
दिल- सच कहते हो तुम ,शायद आज कुछ खास है या फिर इसे अपने ही गम में बैठने का गम है ।
दिमाग- किस गम कि बात कर रहे हो तो , "वो जो आज से तीन साल पहले" मिला था या फिर कोई और ही गम है ।
      "आज से तीन साल पहले " ये शब्द सुनकर दिल बहुत उदास हो गया ।कुछ कही अनकही तस्वीरें उसके सामने से गुजरने लगी ।उस तस्वीरों में कुछ खास था जिसे देख दिमाग ने भी चलना बंद कर दिया दोनो ही अपने उन हसीन पलों को देख रहे थे वो पल कितने हसीन होंगे जिन्हें याद करके दिल और दिमाग दोनों ही  आनंदित हो रहे । कभी किसी पल खुशी छलकाती तो कभी उदासी ।
         उन दोनों के इस दृश्य ने मुझे अन्दर तक हिला दिया । में एकदम से बैठ गया , मेरी आंखो के सामने वो दृश्य आ गया जब मैने उसके उन कोमल ,हसीन ,और सुन्दर हाथों को स्पर्श किया था मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि वो अभी मेरे हाथो में है उसका वो खूबसूरत चेहरा मेरी आंखो के सामने आ गया और मेरी आंखो से कुछ हसीन यादें बह गई । उन यादों की धारा में, मै भी बहता चला गया मैने खुद को उन यादों के हवाले कर दिया ,क्युकी वो यादें ही मुझे खुशी का एहसास कराती थी ।
      "क्या चाहते हो तुम ,खुद को पाना या उसकी यादों में ही उसकी बाहों के घेरे में खुद को छिपाना" ,एकाएक मेरी यादों ने मुझे झकझोर के पूछा ।
  "वो खूबसूरत चेहरा....एकदम से सामने आ गया और उसमे खो गया ।
शाम का समय था कुछ पुरानी यादो ने घेर रखा था शायद वो ख़ूबसूरत ही रही होगी जिस कारण में उनमे इतना खो गया था ज्यादा कुछ याद भी नही आ रहा था बस एक चेहरा जो बार बार आँखों के सामने आ जाता था पता नही में उसे भूलना नही चाहता था या फिर वो मुझे भूलने नही दे रहा था तभी मेरा ध्यान टूटा ।
        हाल ही की हुई घटनाओ के कारण में किसी से ज्यादा बात नही कारता था मेने बहुत कुछ बदलने के कोशिश की पर शायद अभी समय नही था
   में वंहा से उठकर बाहर चला गया में खुद को खुश देखना चाहता था मुझे क्या पता था कि आज का दिन मेरी जिंदगी में एक ऐसा समय लायेगा जिसे में भूलना ही नही चाहुगा ।में घर से निकल तो गया था पर मेरा मन नही लग रहा था इधर उधर की बाते सोचता रहा पर दिल को सुकून नही मिला ।
       लगभग 4 से 5 बजे के बीच का समय होगा  अप्रैल 2015 का महीना था घूमने के बाद में घर आ गया ""हेल्लो कैसे हो ,क्या में तुमसे बात कर सकती हूँ"   ...।
     मैंने नज़ारे ऊपर उठकर देखा मेरे दिल की धड़कन थम सी गयी मनो किसी की आहट से किसी की नींद टूटने का खतरा हो .में बस उसे एक पल के लिए देखता रह गया जो शायद दिल में बस गया था
    "वो एक खूबसूरत चेहरा"
में अपनी यादों की यादों में इतना खो गया कि मुझे मेरी फिर से झकझोर दिया ।
   "यादों के सहारे जीना मुझे बहुत कठिन सा लग रहा था , पर जब उसने उस पहली मुलाकात में मुझे मुस्करा कर देखा था । उसके उन गुलाबी होंठो ने जब एक दूसरे को चूमा था उसकी पलकों ने खुद को अपनी बाहों में लिया था उसकी हर धड़कन से एक मधुर आवाज एक संगीत की तरह मुझे स्पष्ट सुनाई दे रही थी ।जब उसकी उंगलियों ने मेरी उंगलियों को गले लगाया तो मुझे उसकी हर धड़कन अपने दिल की धड़कन के साथ ही सुनाई देने लगी ।लगा मानो दो दिल एक साथ धड़क रहे हों ।
     " अब तुम ही बताओ इन सब को में कैसे भूल सकता हूं" मैने अपनी यादों से कहा ।
और सोचने लगा कि कैसे भूल जाऊ उसका मुझे गले लगाना , उस एहसास से जीने का एहसास होता है मेरे साथ वो सब पहली बार ही तो हुआ था फिर कैसे भूल जाऊ वो ..
    " पहली मुलाकात"

दिल चाहता है



फिर से वो पल जीने को जी चाहता है ,
दोबारा जीने को वो जिंदगी दिल चाहता है |

बहुत कोशिशो के बाद जीना सीख लिया था ,
समय के मरहम से दर्द को छुपाना सीख लिया था,
कुछ दिनों से लगता है जैसे खुद से मिल गया हूँ मै ,
खुद से खुद को जुदा करना कौन चाहता है ,
फिर से वो पल जीने को जी चाहता है 
दोबारा जीने को को जिन्दगी दिल चाहता है ||

बड़ी बेरुखी से टूट गया वो धागा ,
जो मन को बांधे रखता था ,
बड़ी मासूमियत से छूट गया वो हाथ 
जो हमको थामे रखता था 
उस धागे संग बिछडना कौन  चाहता है 
फिर वो पल जीने को जी चाहता है.
दोबारा जीने को वो जिन्दगी जी चाहता है ||

Wednesday, January 3, 2018

तेरा शाम को टहलना याद है

HD Wallpaper | Background ID:422813

तेरा शाम को टहलना याद है
तुझे देख दिल का खिलना याद है,

यू तो फूँक फूँक कर कदम रखते थे हम ,
पर तेरी चाल पर दिल का फिसलना याद है ,

तेरी खूबसूरती की चर्चा थी उन दिनों,
क़त्ल करने निकलती थी जब सड़को पर,

यूँ तो दीवाने बहुत थे तेरे,
पर मेरे दिल के लिए तेरे दिल का मचलना याद है,
तेरा शाम को टहलना याद है |

सुना था बहुत पत्थर दिल है तू,
फिकर नही थी किसी की तुझे,
पर जब दर्द कभी उठा मुझे तो ,
तेरा मोम की तरह पिघलना याद है;
तेरा शाम को टहलना याद है, |

अजीब नियम थे तेरे प्यार के लिए ,
बहुत नीच सामझती थी तू इसे,
मेरी क्या कशिश थी मेरे प्यार की,
तेरा गिर कर बदलना याद है,
तेरा शाम को टहलना याद है |

बे-लगाम  थी जिन्दगी मेरी ,
मारा मारा फिरता रहता था ,
जब हुई मोहब्बत तुझसे ,
तेरी यादो में डलना याद है ,
तेरा शाम को टहलना याद है, |





अनोखा रिश्ता

अनोखा रिश्ता-1 ---------------------------------------------- शाम का समय था लगभग 7 बजे होंगे ,एक टेबल पर बैठा करन कॉफी पी रहा था चार...