Friday, March 30, 2018

आइना

"आइना...."

वो मुस्कराता हुआ आइना 
उसको देख देख इठलाता है
उसकी उन बिखरी हुई लज्मो को 
व्यथित गीत बनाता है

उसकी गालो की मृदुता देख
खुद से आँख चुराता है
उसके होंठो की वो लाली 
खिलते गुलाब को रिझाती है 

वो मीठी झील सी आँखे 
मेरे दिल की प्यास बुझाती है
मेरा मन कुछ यूँ आईने से 
एक प्रश्न करता जाता है
वो मुस्कराता हुआ आईना 
उसको देख देख क्यू इठलाता है
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Monday, March 5, 2018

वो साथ तुम्हारा चाहता है



वो साथ तुम्हारा चाहता है 

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उस ब्याकुल ,निराश ,विक्षित ह्रदय को,
मृदु भाषाई गीत सुनांना चाहता है 
इस हताश जीवन संग तुम्हारा चाहता है 
वो साथ तुम्हारा चाहता है ||

हैं एक गीत उसके सपनों में तुम्हारा ,
मन उन गीतों की डोर संग उड़ना चाहता है 
वो उस डोर संग बंधन तुम्हारा चाहता है 
वो साथ तुम्हारा चाहता है ||

डर है कहीं डोर जीवन का साथ न छोड़ दे,
ह्रदय उस व्यथा से मचलता है,
इस निराशा से लड़ने को वो संग तुम्हारा चाहता है,
वो साथ तुम्हारा चाहता है ||

कितना मोहक है साथ तुम्हारा ,
पंछि रोज़ ये राग सुनाता है,
कहीं टूट न जाये सपना ,
उन सपनों में वो साथ साथ तुम्हारा चाहता है ,
वो हाथ तुम्हारा चाहता है ||

अनोखा रिश्ता

अनोखा रिश्ता-1 ---------------------------------------------- शाम का समय था लगभग 7 बजे होंगे ,एक टेबल पर बैठा करन कॉफी पी रहा था चार...