--------------------------------------- लड़की हूँ मैं अपनी मर्यादा जानती हूँ ,
कब हँसना है कब चुप हो जाना सब जानती हूँ मैं,
लड़की हूँ मैं अपनी मर्यादा जानती हूँ|
कब बैठना है किसके सम्मान में खड़े रहना है अपनी हैसियत की देहलीज पहचानती हूँ,
क्योंकि लड़की हूँ मैं अपनी मर्यादा जानती हूँ |
मैं एक काठ की कठपुतली हूँ जिसके जज्बातो
की कोई कीमत नही,
सूख गये अब तो आँसू भी मेरे, इन आँखों में आँसू लाऊँ कैसे,
रूठ गयी हैं अब तो किस्मत भी मेरी मुझसे,
इसे मनाऊँ कैसे |
कितना दुःख पाना है सुख की चाह में जानती हूँ मैं,
क्योंकि लड़की हूँ मैं, अपनी मर्यादा जानती हूँ मैं |
ना जानने का हक है मुझे घर के बाहर की दुनिया ,घर की देहलीज को ही सबकुछ मानती हूँ मैं,
लड़की हूँ मैं अपनी मर्यादा जानती हूँ ||
तन्हाई मेरी साथी है, आँसू मेरी किस्मत इन्हें ठुकराऊँ कैसे,
रूठ गयी मेरी किस्मत मुझसे इसे मनाऊँ कैसे,
लड़की हूँ मैं अपनी मर्यादा जानती हूँ,
इस कड़वे सच को ठुकराऊँ कैसे,
कभी जन्म से पहले ही मार दी जाती हूँ,
और अगर बच गयी तो दहेज के नाम पर जला दी जाती हूँ,
क्योंकि मै एक लड़की हूँ, और अपनी मर्यादा जानती हूँ |
मैं किसी की बेटी बन घर को किलकारियो से गुंजा जाती हूँ,
फिर भी ना जाने क्यूँ मार दी जाती हूँ,
कभी किसी की बहन बन अपने भाई की सुरक्षा की मन्नते मांगती हूँ, और खुद ही दहेज के नाम पर असुरक्षित हो जाती हूँ,
क्योंकि मै एक लड़की हूँ?
कहीं पर मै एक माँ हूँ फिर भी धन के लालच में अपने ही बेटे के हाथों मारी जाती हूँ,
जिस परिवार में कदम रख उसे संवारा हैं, उस परिवार को मुझे दो पल की खुशियाँ देना लगता अब गवारा है,
क्योंकि मै एक लड़की हूँ ?
अपनी मर्यादा जानती हूँ ||
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-नवनीता
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